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की भक्ति से बहुत कुछ लाभ हो सकता है अतएव प्रतिमा पूजा सार्थक है। मार्य-महाराज, जड़ पत्थर की मूर्ति को देखने से, पूजा करने
से निरन्तर ध्यान करने से मूर्ति पूजकों में जड़ता प्रा.
जो सकती है, अन्त में परिणाम यह होगा कि मूर्ति.. पूजक भी जड़ हो जायेगे। दादाजी-वाहजी वाह, आपके तर्क और बुद्धि की बलिहारी है,
जरा शोचो तो सही-एक मूर्ख भी समझ सकता है कि स्त्री की मूर्ति को देखकर काम तो अवश्य उत्पन्न होता है मगर वह देखने वाला पुरुष स्त्री नहीं बन जाता। इसी प्रकार भगवान् की शान्त दान्त मूर्ति को देखकर मूर्ति पूजक को हृदय शान्त दान्त हो जाता है और ईश्वर के पवित्र गुण कर्म स्वभाव जैसे उसका भी गुण कर्म स्वभाव पवित्र हो जाता है और यदि आपका वैसा ही विश्वास है तो आप जड़ ॐ पद को अनेक बार जप, ध्यान किये होंगे फिर भी
जड़ नहीं बने। आर्य-विनीत होकर महात्मन्, मूर्ति तो जड़ है फिर उस
जड़ से चेतन ईश्वर का ज्ञान कैसे होता ? दादाजी-महोदय, हम जड़ मूर्ति से चेतन का काम नहीं
स्वीकार करते, क्योंकि परमात्मा की मूर्ति जो कि जड़ है, केवल उत्तम भावों को जो कि वह भी जड़ ही है, उत्पन्न करने वाली है। शास्त्र और मूर्ति परस्पर जुगराफिया और चित्र की तरह सम्बन्ध
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