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इन उप
- बलिष्ट हो जाता है, अथवा यों कहें कि युक्त रसायनों में गौ दूध से कहीं अधिक गुण है और बुद्धि बढाने की शक्ति है, इसलिये आपको यह मानना पड़ेगा कि उपर्युक्त रसायन रूप जड़ गौ की मेवा से वास्तविक गौ की अपेक्षया कितनी अधिक चेतनता या फायदा पहुंचता है और भी सुनिये - आत्मा का गुण ज्ञान है, अतः श्रात्मा ही सभी पदार्थों को देख सकता है, आत्मा ही सभी बातों को सुन सकता है, आत्मा ही सभी गन्धों को सूंघ सकता है, आत्मा ही सभी स्पृश्य पदार्थों को स्पर्श कर सकता है, श्रात्मा ही सभी भोज्य पदार्थों को अश्वादन कर सकता है, भात्मा ही चल सकता है, और आत्मा ही हाथ का काम कर सकता है, लेकिन ऊपर के सभी बातों के सम्पादन करने में श्रात्मा को उन उन इन्द्रियों की सहायता अवश्य लेनी पड़ती है । जब किसी कारण से कोई - इन्द्रिय विकृत होकर उस इन्द्रिय जन्य कार्य को करने में असमर्थ हो जाती है तब अकेला आत्मा ही उस कार्य को करने में कभी सफल नहीं होता, जैसे:- किसी कारण विशेष से किसी की आंखे विनाश हो गई तो यह व्यक्ति किसी तरह भी पदार्थ को नहीं देख सकता । अब श्राप को इस पर पूर्ण विचार करना चाहिये कि वह व्यक्ति जिसकी जड़ श्रांखें गायब हो गई और चेतन श्रात्मा विद्यमान है चीजों को क्यों नहीं देखता । वास्तविक विचार से यहीं कहेंगे कि जड़ श्राखों के नहीं होने से ही चेतन श्रात्मा पदार्थ को नहीं देख सकता । -इसी तरह कान, नाक, हाथ और पैर आदि इन्द्रियों को बिल- कुल खराब हो जाने से श्रात्मा उन उन इन्द्रियों के द्वारा किये
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