Book Title: Murti Puja Tattva Prakash
Author(s): Gangadhar Mishra
Publisher: Fulchand Hajarimal Vijapurwale

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Page 42
________________ (३८) मोटाई नहीं हो, तब रेखा कैसे बन सकती ? . माष्टर साहब ने उत्तर दिया कि-प्यारे, अनेक बिन्दुओं के संयोग से रेखा बनती है। लड़का ने फिर पूछा-माष्टर साहब, "बिन्दु" किसे कहते है माष्टर ने उत्तर में कहा-जिसका स्थान नियत हो, परिमाण (माप, तौल) न हो और विभाग न हो उसे 'बिन्दु' कहते हैं। - लड़का बिन्दु की परिभाषा को सुन कर अपने मन में विचार करने लगा कि-अररर, गजव है, कहो ऐसा कौन पदार्थ है, जिसका स्थान तो निश्चित है मगर परिमाण और विभाग नहीं है, इसलिये 'बिन्दु' की परिभाषा ही गलत है। मैं ठीक कहता हूँ कि माष्टर साहबं मुझे कुछ कह कर ठग रहे हैं, क्योंकि, पहले जब मैंने रेखा की परिभाषा पछी, तब उसका असंभाव्य ही उत्तर दिये और इस पर भी तुर्रा यह कि रेखा के स्वरूप को व्यक्त करने के लिये बिन्दु के संयोग को ग्रहण करते हैं। अब जब कि बिन्दु की ही सिद्धि असम्भव है तब उस बिन्दु के द्वारा जिसको सिद्ध करना है वह तो सुतरां असम्मध है। इस तरह अपना मन में तर्क वितर्क ले सिद्ध कर लिया कि जब रेखा और बिन्दु, दोनों की परिभाषा ही गलत है, तब उस रेखा गणित के गलत होने में सन्देह कैसा ? लड़के के दिल में रेखाकी परिभाषापर जब पूरी तसल्ली नहीं हुई, तब उसने फिर मास्टर से पूछा कि-मास्टर साहब, रेखो की परिभाषा ही गलत है। क्योंकि बिन्दुओं के संयोग से रेखा का स्वरूप बनता है, मगर बिन्दु का स्वरूप भी तो ठीक ठीक. नहीं बन सकता, इसलिये रेखागणित भी ठीक नहीं । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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