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णमो णाणगुरूणं
जिन आत्म-द्रष्टा से दर्शन मिला जिन -अष्टा . . . . . . . . . . . . :...: मन्त्र मिला जिनने पद दिया पथ दिया पाथेय भी दिया जिनके कोमल कर-पल्लवों से यह जीवन पोषित हुआ मोह का प्रताप शोषित हुआ उन गारव-रहित गुण के आगर गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी के सुखद कर-कमलों में परोक्षरूप से मूक माटी सृजन का समर्पण करता हुआ
-गुरुचरणारविन्द-चञ्चरीक
अठारह