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कविवर बुधजन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
Rasar which includes nearly the whole shekhawati and is generally apply to wundy country where is water is only procarable to at a great depth.
In the extreme North east of the Jodhpur stale, where its borders and the Jaipur state the dialect is said to the mixture of Marwari and Jaipuri, or the letter is rocky called Dhoondhari.
The language is a mixed on and near the Jaipur border is probably nearer Jaipuri theo Marwari 11. Lingujestic survey of India Zild 9 (vol.) part II page 71,
डारी भाषा का एक उद्धरण देखिये, जिससे भाषा के सोष्ठव एवं माधुर्य का परिचय मिलता है । कहा है-'एक जणां के दो टाबर हा । वा में सू छोटक्यो पापका बापने क्यो के बाबा जी मारे पांती में प्रावे जकी माल भनेषो । जघांनी आपकी घर निकरी वाने बोट दीनी । गोहका दिना पो यो-यो वाली की संगली पूजी मेलीकर परदेस गयो । वठे आपकी सारी पूजी लफडा में उड़ादी। सगड़ी गिड़िया पछे बी देस में जवरो अकाल पड़ियो।
कविवर बुधजन का अधिकांश जीवन टूढाइ प्रदेश में ही बीता था। ददाड़ प्रदेश में बोली जाने वाली भाषा दूदारी है, जिसका मूलाधार अजभाषा है। इस भाषा में खड़ी बोली का पुट है। इसे हम मिश्चित हिन्दी (बज भाषा और राजस्थानी) कह सकते है 1 अपने भाष-प्रकाशन में कविवर को जिस भाषा का जो शायद उपयुक्त लगा उसका खुलकर उपयोग किया है । भाव-प्रकाधान में भाषा के सरल-प्रवाह का अत्यधिक ध्यान रखा गया है। कहीं भी भाषा की कठिनता के कारण भाव-दुरुहता नहीं प्राने पाई है। गभीरतम दार्शनिक विचारों को भी इतनी सरल भाषा में अभिव्यंजना हुई है कि पाठक को उन्हें हृदयंगम करने में कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ा है। शैली बहुधा व्यास प्रधान है । भाषा और भाषों का इतना अनुपम सामंजस्य हिन्दी साहित्य की कम ही रचनाओं में प्राप्त होता है।
डिगल, अवधी मोर सज के समान ही ढूढारी भाषा भी एक साहित्यिक भाषा है । इसका विस्तृत शब्द मंडार तथा व्याकरण है। कवि ने स्वच्छ, मधुर एवं प्रवाहपूर्ण ब्रज मिश्रित राजस्थानी भाषा का प्रयोग अपनी रचनामों में किया है। कवि की रचनामों में विदेशी भाषा के शब्दों का प्रयोग भी मिलता है, किन्तु ऐसे शब्द बहुत कम है।
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० जार्ज एनियर्सन : लिंग्विस्टिक सर्वे श्राफ इडिया, जिल्द , भाग २ पृष्ठ ७१।