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१६. चोर असज्जन जो दण्डीजे, सज्जन साथे क्यूं भंडीजे।
खळ अरु गुड़ इकसार न कीजे, कुछ दीजे ध्यान विमल रे।। १७. यूं कह तेरापंथ-प्रणाली, बलि दीक्षा-शिक्षा नियमाली।
कठिन परीक्षण-पद्धति आली, बतलाई बात सकल रे।। १८. व्यथित 'बार साहिब' सुण बाणी, ओ अनुशासन आ कुर्बाणी।।
आ पद्धति मैं कदे न जाणी, तेरापथ-नीति निमल रे।। १६. चिंता री कोई बात नहीं है, मध्य दिहाड़े रात नहीं है।
पथ बहतां कोई घात नहीं है, निश्चित रहो निश्चल रे।। २०. यूं आश्वासन और दिलासा, दी सारां नै ही ज्यूं आशा। ___'राजगजट' में खबर खुलासा, पढ़ मिल्यो प्रबल संबल रे।। २१. स्थगित हुयो प्रस्ताव हि सारो, शिशुदीक्षा से ऐकणहारो। ____ कालू पूज्य प्रभाव निहारो, उन्मीलित नयन-युगल रे।। २२. इलाबाद री कौंसिल धारा, करण हेतु नाबालिग धारा।
जब लों न हुवै प्रथित प्रचारा, तब लों ओ लेख सरल रे।। २३. देखो तेरापंथ-प्रभावे, नाबालिग दीक्षा ले पावे।
कुण यूं बणतो नियम रुकावे, प्रसरी है यश-परिमल रे।। २४. दूजी ढाळ सरस रसभीनी, प्रभुवर प्रौढ प्रतापे पीनी।
सज्जन-रंजन रागिनि झीनी, श्री कालू अकथ अकल रे।।
ढाळः ३.
दोहा १. चंदेरी स्यूं ली विदा, सीधा छापर ताल।
जन्मभूमि पावन करै, कालू पूज्य कृपाल ।। २. मासकल्प अवकाश पा, संस्कृत-विद्याभ्यास। ___ पुनरपि अब चालू कियो, लै व्याकरण-विकास' ।। ३. वरण बिना वाणी यथा, बिना आभरण अंग।
नग सुवरण व्याकरण बिन, विद्या है बिदरंग।। ४. निरवद्या विद्या बिना, वरै न बुद्धि विकास।
हृद्या हृदय-विमर्शणा, करै सुगुरु सव्यास ।।
१. सन १६१४ एक अगस्त जोधपुर राजपत्र शनिवार जिल्द ४८, नं. ४५ २. इससे पहले वि. सं. १६४६ लाडनूं में मघवागणी ने कालूगणी को सारस्वत व्याकरण
सिखलानी शुरू की थी।
उ.२, ढा.२,३ / १२१