Book Title: Kaluyashovilas Part 01
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 369
________________ दीख दुंदाळो दुकूल दुक्करकार दुतिया दुरघट्टी दोर दोरो/दोहिलो धड़ाधड़ धट धव धसमसकै धाड़ धामना धाया धायो धाराधर/ धोरणी धावो धीज धीज पतीजै धीणो धुर धूंवरली धोरी नख नगारा नन्दन नाई नागी नाड़ दीक्षा मोटे पेटवाला, तोंदवाला रेशमी कपड़ा कठिनतम द्वितीया दुर्गम, कष्टसाध्य दौड़ कठिन लगातार, बिना रुके हुए धड़धड़ाहट का शब्द स्वामी, पति पृथ्वी पर पांवों का बल देते हुए चलना, त्वरित गति से अग्रसर होकर चलना । आक्रमण, हमला मनुहार करना तेज चलकर आना तृप्त/ संतुष्ट मेघमाला आक्रमण अग्निस्नान विश्वास करना दुधारू पशुओं का होना प्रारंभ में कुहरा प्रमुख गौत्र तबले के आकार का एक बृहद वाद्य । पुत्र झुकाकर निर्लज्ज गरदन लक्ष्य की ओर परिशिष्ट- ४ / ३६५

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