Book Title: Kaluyashovilas Part 01
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 345
________________ ३/११ ३/११ ३/१३ ३/१४ कानकुंवर जी संगे छोगांजी सती रे, विचरै परम उमंगे तन-मन रंगे रे । सुण... मारवाड़, मेवाड़ मालवै देश में रे नव-नव रंगी जंगी झंगी लंघे रे ।। सुण... ३/१२, ३/१३ चंदन चोक्यां में सरस बखाण, म्हांरा .... ३/१५ रे चेजारा थारी बेल, चेजारा थारी बेल, अनोखो माळियो तें चिण्यो जी म्हारा राज! ध्रुव. माळिये पोढै सुसराजी रा सींव छाजां पर सूरज ऊगियो जी, म्हारा राज! अन्तर ढाळ राम रट ले रे प्राणी! सुण संतां री अनुभव वाणी । घट रह्यो जीवन खिण- खिण ज्यूं अंजलि रो पाणी रे ।। राम रट ले... ध्रुवं. मिल्यो भाग स्यूं मिनख जमारो, बण्यो मोह में क्यूं मतवारो । अठे रही नहीं कोई री भी अमर कहाणी रे ।। राम रट ले.... अन्तर ढाळ मुनिवर नै आपो झुंपड़ी आपां औ साधूजी है भारी उपकारी, मुनिवर नै.... वीनवै यूं बालिम नै कुम्हारी । मुनिवर नै...ध्रुव. दुर्बल देह सनेह संत रो दीसै नस-नस न्यारी । स्वेद झरै झरणां ज्यूं झर-झर भूखो पिण न भिखारी ।। मुनिवर... केसर-वरणो हो काढ कुसुम्भो, म्हांरा राज । पणे सासू हो बहु नैतेड़ी, म्हांरा लाल, निरख तूं चंदे हो फिर मुझ छेड़ी, म्हांरा लाल विमलपुरीये हो मनुष्य थयो छे, म्हांरा लाल अमरस एहनों हो हजि न गयो छै, म्हांरा लाल खम्मा खम्मा खम्मा हो कंवर अजमाल रा । * परिशिष्ट-३ / ३४१

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