Book Title: Kaluyashovilas Part 01
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 352
________________ ५/१३ सपना रे वैरी भंवर मिला दै रे। ध्रव. सूती थी रंग महल में, सूती नै आयो रे जंजाल। टग-टग महलां ऊतरी, आई आई सासूजी पे चाल।। सपना रे... अन्तर ढाळ ५/१३, ६/६ हरी गुण गाय लै रे, जब लग सुखी शरीर। गइ जवानी न आवसी रे भाई! पिंजर व्याप्यां पीर।। हरी... भाग भला सद्गुरु मिल्या रे, पड्यो सबद में सीर। हंसा होय चुग लीजिये रे नाम अमोलक हीर।। हरी... ५/१४ छेड़ो नांजी नांजी नांजी नांजी। ५/१६ खिम्यांवत जोय भगवन्त रो जी ज्ञान। ध्रुव. देवै सतगुरु देसना रे ए संसार असार। रोग सोग दुख अति घणो रे, देखो आंख उघार।। ६/१ नाहरगढ़ ले चालो। ध्रुव. नाहरगढ़ ले चालो बनां सा अब कै जयपुर देखां सा। जयपुरिये में ख्याल तमाशा बूंदी में डर मेणां को। चालो बनी महलां में चालां थारो म्हारो कद को रूसणो। महलां में मागोरी पेडा गोडे बैठ जिमावणो।। नाहरगढ़ ले चालो। ६/ २ कुंथू जिनवर रे ! मनड़ो किम ही न लागे। हठकत-हठकत मूळ न मानै ।। यह तेरापंथ महान, धरा पर उतरा स्वर्ग विमान रे, गतिमान रे, यह... निराला यह नंदन उद्यान रे, गतिमान रे, यह...ध्रुव. निर्मित श्री भिक्षु के द्वारा, जयाचार्य ने इसे संवारा, जैनधर्म का नया संस्करण, है एक नया अभियान रे, गतिमान रे ६/४ . संभव साहिब समरियै, ध्यायो है जिन निरमल ध्यान का इक पुद्ग्रल दृष्टि थाप नै, कीधो है मन मेर समान क।। संभव साहिब समरियै। ३४८ / कालूयशोविलास-१

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