Book Title: Kaluyashovilas Part 01
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh
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अन्तर ढाळ
म्हां नै चाकर राखो जी, गिरधारी म्हां नै चाकर सखो जी ।। चाकर रहस्यूं, बाग लगास्यूं नित उठ दर्शन पास्यूं । वृंदावन की कुंज गलियन में, गोविन्द लीला गास्यूं ।। म्हां चाकर खोजी ।।
५/५, ५/१५ सभापति हमें मिले मतिमान ।
६/५
५/७
रात रा अमला में होको गहरो गूंजे जी राज !
सरणाट कुचामण बहग्यो, अणमणो देखतो रहग्यो जी । सरपाट कुचामण बहग्यो ।। च्यारूं कुंटां में पाणी, आई आपद अणजाणी जी । बह गया हजारूं प्राणी, आ वणगी एक कहाणी जी ।। सरणाट कुचामण बहग्यो । ।
नाम छोगमल, बी. ए. बी. एल. शासन में सम्मान ।। सभापति... गंगाशहर चोपड़ा नामी, संघ संघपति के अनुगामी. । रखते सबका ध्यान, सभापति हमें मिले मतिमान । ।
मन मोहनगारो म्हांरो साधजी । ध्रुव.
मुनिवर वहरण पांगुरया सखि ! लहि सतगुरु आदेश, छठ तणो छै पारणो सखि ! नगरी में कियो परवेश रे । मुनिवर नव जोवन वेश रे, शोभै सिर लुंचित केश रे चित लोभ नहीं लवलेश रे, मन मोहनगारो म्हारो साधजी ।।
अन्तर ढाळ
पनजी ! मूंढे बोल ।
बोल-बोल हिवड़े राजिवड़ा ! कांइ थारी मरजी रे । पनजी !... ध्रुव. म्हें तो म्हांरै घर में बैठी, कांकरड़ी कुण मारी रे, 21 खड़ी खड़ी कांकरड़ी लागी, घायल करगी रे । । पनजी !....
भलो दिन ऊग्यो दरसण पाया म्हे गुरु महाराज रा ।
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३४६ / कालूयशोविलास-१

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