Book Title: Kaluyashovilas Part 01
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh
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५/१
मुश्किल जैन मुनी रो मारग वहणो है खांडै री धार ।
है खांडै की धार, रहणो आजीवन इक सार ।। ध्रुव .
जंगम स्थावर जीव जगत का आतम सम अवधार । अपराधी नै भी न सतावै महाव्रती अणगार ।। मुश्किल...
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भविकां ! नृप नी बेटी गुण नी पेटी गेह थी रे लोय, बैठी दान नी शाला रे लोय ।
भविकां ! जे जिम मांगै ते तिम आपै नेह थी रे लोय, बाला परम कृपाला रे लोय ।।
जुग जीओ म्हांरी मूमल ! हालो नीं ले चालो जवायां रै देश ।। ध्रुव. काली काली काजळिये री रेख ज्यू, काजलिये री रेख ज्यूं । भूरोड़े बादल में चमकै बीजळी, जुग जीओ...
सागै वाळा नै डेरा दिराय ओ,
कोई हरकी लै जंवायां रा डेरा बादळ महल में । जुग.
आई थी पड़ोसन कह गई बात, थांरो ए परण्योड़ो परनारी रे जात । नणदल रा वीर हंस बोलो ।। ध्रुव .
इनै ऊभी गणगोरया, इनै ऊभा लोग ।
सेन करूं तो पिया रस्तो छोड़ । सासू सुगणी रा पूत हंस बोलो ।।
दुनिया राम नाम नै भूली दुनिया झामर झोलै लागी । । ध्रुव . ठाकुरजी पे बेटा मांगै अजिया - सुत रै साटे । अपणा पूत खिलाया चावै, गळा पराया काटै ।। हे जी हां.....
५/२, ६/१४ डेरा आछा बाग में रे ।
ॐ जय-जय त्रिभुवन अभिनंदन त्रिशलानंदन तीर्थपते ! अयि त्रिशलानंदन तीर्थपते ! अयि कलुषनिकंदन विश्वपते ! ध्रुव. तिमिराच्छादित भुवन में रे, दिव्य दिवाकर - सो उदयो, सरण - सरण निज किरण पसारे, सारे जग जागरण हुयो । निद्रा- घूर्णित जन बोध लह्यो ।। ऊं जय-जय...
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परिशिष्ट-३ / ३४५

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