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४०. चवदह दिन रो अंतिम अनशन, साठ दिवस संलेखी जी हो ।
दृढ़ शरीर पी तेल कोयला, घटना है उल्लेखी जी हो' । । ४१. श्री कालू-करुणा रो प्रतिफल, सारो संघ सलूणी जी हो । ढाळ पनरमी जिनशासन रो, बढ़े तेज दिन दूणो जी हो । ।
ढालः १६. दोहा
१. तीजे उल्लासे सही, दीक्षा व्यतिकर देख | पाठक-सुविधा-हित करूं, एकत्रित उल्लेख।। २. बीकाणै उणियासिए, सुद पख भाद्रव मास । तेरह दीक्षा रो बण्यो, एक नयो इतिहास ।।
लावणी छंद
३. मोती मुनि वास- निवास रामसुख जाणी, हस्ती मत्तू सुत-युत गणेश मालाणी । मुनि आशकरण, जयचंद-जंपती रावत, जंवरी पांचूं सुजानगढ़वासी साबत । तनसुखां जतन बालूजी राजगढ़ी है, तेरह संख्या श्री सद्गुरु-चरण चढ़ी है। मेवाड़ी केसूलाल नत्थ मुनि द्वारे, तीजे उल्लासे दीक्षा - व्रत स्वीकारे । । ४. बीदासर में बिद चेत चांचियो बागी, जेठी पूनम सुजानगढ़ पांच सुभागी । आनँद रावत रो तात मूल वैरागी, धन चंदन भाई भगिनी दीपां जागी । अस्सी शुभ संवत जयपुर कार्तिक मासे, नव दीक्षा छोग पांदरा रो हुल्लासे ।
१. देखें प. १ सं. ११०
२. मुनि मुलतानमलजी
३. मुनि जयचन्दलालजी और साध्वी मनोहरांजी
४. पांदरा पचपदरा का अपभ्रंश रूप है 1
२४२ / कालूयशोविलास-१