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जिण मारग
त्यां आदि काढी जिणधर्म री जी ।
में
धुर स्यूं आदि जिणंद क,
त्यांरी सेवा सारे सुर नर चौसठ इन्द्र क,
त्यां सारां : पेली संजम लियो जी ।।
...ध्रुव.
म्हारी रस सेलड़ियां, आदीसर कीन्हो उत्तम पारणो । ल्यो अखै तीज दिन, पोतो श्रेयांस कुमार उधारणो । म्हारी रस... गृह समाज अरु राजनीति तज, धर्मनीति पथ ध्यावै । बारै माह री विकट तपस्या, सुण मन विस्मय पावै जी ।। म्हारी रस...
तू तो पल-पल राम समर रे, सुख पासी रे जिवड़ा !
हेम ऋषी भजिए सदा रे । ध्रुव .
मुनिवर रे उपवास बेला बहुला किया रे,
तेला चोला तंत सार हो लाल ।
पांच-पांच ना थोकड़ा रे, कीधा बहुली बार हो लाल ।। हेम ऋषी...
हां रेहूं तो इचर पामी स्वामी वचने ताम जो, पूरब किहां ए आभा नगरी किम भणै रे लोय ।
हां रे ए तो आया पश्चिम दिशि थी किहां नृप चंद जो,
जायो मैं एह आगल कही होशे किणे रे लोय ।।
पुण्य रा फल जोइजो । ध्रुव.
साधु श्रावक व्रत पाल नै रे, देव हुआ अभिराम | महले देवी मोह्यो चिंतवै रे, रखे चवां इण ठाम रे ।। पुण्य रा...
नमूं अनन्त चौबीसी ऋषभादिक महावीर । आर्य क्षेत्र मां घाली धर्म नों सीर ।। महा अतुल बली नर शूर वीर नैं धीर । तीरथ प्रव्रतावी पोहता भव जल तीर ।।
परिशिष्ट-३ / ३३३