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________________ १/१६ २/१, २/११ १/५ २/२ २/३ २/४ २/५ २/६ जिण मारग त्यां आदि काढी जिणधर्म री जी । में धुर स्यूं आदि जिणंद क, त्यांरी सेवा सारे सुर नर चौसठ इन्द्र क, त्यां सारां : पेली संजम लियो जी ।। ...ध्रुव. म्हारी रस सेलड़ियां, आदीसर कीन्हो उत्तम पारणो । ल्यो अखै तीज दिन, पोतो श्रेयांस कुमार उधारणो । म्हारी रस... गृह समाज अरु राजनीति तज, धर्मनीति पथ ध्यावै । बारै माह री विकट तपस्या, सुण मन विस्मय पावै जी ।। म्हारी रस... तू तो पल-पल राम समर रे, सुख पासी रे जिवड़ा ! हेम ऋषी भजिए सदा रे । ध्रुव . मुनिवर रे उपवास बेला बहुला किया रे, तेला चोला तंत सार हो लाल । पांच-पांच ना थोकड़ा रे, कीधा बहुली बार हो लाल ।। हेम ऋषी... हां रेहूं तो इचर पामी स्वामी वचने ताम जो, पूरब किहां ए आभा नगरी किम भणै रे लोय । हां रे ए तो आया पश्चिम दिशि थी किहां नृप चंद जो, जायो मैं एह आगल कही होशे किणे रे लोय ।। पुण्य रा फल जोइजो । ध्रुव. साधु श्रावक व्रत पाल नै रे, देव हुआ अभिराम | महले देवी मोह्यो चिंतवै रे, रखे चवां इण ठाम रे ।। पुण्य रा... नमूं अनन्त चौबीसी ऋषभादिक महावीर । आर्य क्षेत्र मां घाली धर्म नों सीर ।। महा अतुल बली नर शूर वीर नैं धीर । तीरथ प्रव्रतावी पोहता भव जल तीर ।। परिशिष्ट-३ / ३३३
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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