Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 15
________________ [14] १४८. 9-02 १६० १०६ १०७ १७० १७५ - ... १७६. क्रमांक विषय . पृष्ठ संख्या क्रमांक विषय . पृष्ठ संख्या १. संमूर्णिम तियंव पं0 जीव ७१-७२ ३५. पुरुष की कायस्थिति १४५ २. गर्भज तियच पंचेन्द्रिय ८३-९१/३६. पुरुषों का अंतर ३. मनुष्यों का वर्णन ९१-९९ ३७. पुरुषों का अल्पबहुत्व १५१ १. सम्मूर्णिम मनुष्य ३८. पुरुषवेद की बंध स्थिति १५६ २. गर्भज मनुष्य ९३-९९ ३९. पुरुष वेद का स्वभाव १५७ ४.देवों का वर्णन ९९-१०५ २१. स-स्थावर की भवस्थिति ४०. नपुंसक के भेद १५७ १०६ ४१. नपुंसक की स्थिति २२. त्रस-स्थावर की कायस्थिति २३. त्रस-स्थावर का अंतर ४२. नपुंसक की कायस्थिति १६३ २४. त्रस-स्थावर का अल्पबहुत्व |४३. नपुंसकों का अंतर १६६ ४४. नपंसकों का अल्पबहत्व त्रिविधाख्या द्वितीय प्रतिपत्ति ४५. नपुंसकवेद की बंध स्थिति २५. तीन प्रकार के संसारी जीव ४६. नपुंसक वेद का स्वभाव २६. स्त्रियों के भेद-प्रभेद १०९-११३ ४७. नवविध अल्पबहुत्व . १७७. १.तियच स्त्रियों के भेद ४८. स्त्री-पुरुष-नपुंसक की स्थिति १८६ २. मनुष्य स्त्रियों के भेद । ४९. पुरुषों से स्त्रियों की अधिकता ३.देव स्त्रियों के भेद १८६ २७. स्त्रियों की स्थिति ११५-१२४ | चतुर्विधाख्या तृतीय प्रतिपत्ति १.तियच स्त्रियों की स्थिति प्रथम नैरयिक उद्देशक २.मनुष्य स्त्रियों की स्थिति ११७ ३. देवस्त्रियों की स्थिति ५०. चार प्रकार के संसारी जीव १२१ १८८ २८. स्त्रियों की कायस्थिति १२४-१३२/५१. नैरयिक जीवों के भेद १८८ १.तिथंच स्त्री की कायस्थिति १२७/५२. सात पृथ्वियों के नाम और गोत्र १८९ २. मनुष्य स्त्री की कायस्थिति १२८ ५३. नरक पृथ्वियों का बाहल्य ३. देव स्त्री की काटस्थिति १३२ ५४. रत्नप्रभा पृथ्वी के भेद-प्रभेद १९१ २९. स्त्रियों का अन्तर ५५. शर्कराप्रभा आदि के भेद ३०. स्त्रियों का अल्पबहुत्व ५६. नरकावासों की संख्या ३१. स्त्रीवेद कर्म की बंध स्थिति १३९ ५७. रत्नादि कांडों की मोटाई १९६ ३२. स्त्री वेद का स्वभाव १४१ /५८. रल प्रभा आदि में द्रव्यों की सत्ता १९८ ३३. पुरुष के भेद १४१ /५९. नरकों का संस्थान २०१ ३४. पुरुष वेद की स्थिति १४२/६०. सातों पृथ्वियों की अलोक से दूरी २०२ ११३ १९० १३२ १३५ .. १९२ १९३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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