Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ AAMANNAR गुंजवाया य ॥ घणतणुवायाईया, या खटु वानकायस्स ॥ ७ ॥ गाथा ७ मीना बूटा शब्दना अर्थ. उल्लामग-जनामक एटले गुंजवाया-गुंजारव करतोवायु. उंचे जमावे तेवो वायु. घणतणुवाया घनवायु अने नक्कलिया-उत्कलिक एटले तनुवायु. नीचो पसतो वायु. आईया-आदिक. मंझली टोली, ममलिक या दो. मह-महावायु खलु-निश्चे. सुद्ध-शुधवायु. वाउकायत वाउकायस्स बालकायना. ___ अर्थः-(उप्लासग के०) उंचो आकाशने विषे जे आयु तृणादिकना बेमाने जमावे जे ते उशामक वायरो कहेवाय, (उकलिया के ) जे वायु नीचो पमतो होय ते उत्कलिक वायु कहेवाय बे, (संगली के) वंटोली अथवा मंगलिक वायु कहेवाय बे, (मह के) कोश्वार मोटोवायरो थाय ते सहावायु, (सुद्ध के)जे शनैः शनैः वाय ते शुभवायु, (गुंजवाया य के) जे गुंजारव करे ते गुंजवायु कहेवाय बे, अने (घणतणुवाया के) जे वे वायुने आधारे नरक देवलोकादि रहेलांबे ते एक घनवायु तथाचीजो तनुवायु कहेवाय angrape

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