Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 25
________________ ( २४ ) धान्यादिकमा उत्पन्न याय बे, एने इल पण कहे बे. (घयमिली के० ) ए जीव घृतमां उत्पन्न याय ढे, एने घीसेल पण कहे बे. (सावय के ० ) सावा, ए जीव मनुष्यना शरीरना माथा सिवाय बीजां सर्व अवयवमांना के शोना थमां उत्पन्न याय वें. तेमां पण विशेषे करी यांखनी पांपणमा थाय छे. ते जे वखते मनुष्यना शरीरमां उत्पन्न याय बे ते वखते जविष्यकाल विषे एवं अनुमान थाय बे के कांड पण कष्ट प्राप्त थशे. एने लोक सावा कहे बे. (गोकी रुजाईट के० ) गोकीटंक जाति, ए जीव गाय प्रमुख पशुनां शरीरना. अवयवोमां उत्पन्न याय बे, ते तेर्जनी त्वचामां चोटी रहेला होय . एने ही जाषामां चिश्चमी अथवा गगोमा पण कहे बे ॥ १६॥ ( गद्दय के०) गया, ए जीव गौशाला प्रमुखमां उत्पन्न याय बे, एउनो वर्ण श्वेत होय बे, एउने शास्त्रोमा उत्चिंगा पण कहे बे. ( चोरकीमा के० ) ए जीव विष्टामां उत्पन्न थाय बे. ( गोमय कीमा के० ) ए जीव बाणमां उत्पन्न याय बे. ( धन्नकीमा के० ) ए जीव धान्यमां उत्पन्न याय बें, ते लोकमां धनेरीयां एवे नामे उलखाय बे: ( य के० ) वली ( कुंथु के० ) ए जीव सूक्ष्म बतां

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