Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 46
________________ (४५) अने जे मनुष्यदेवथी बहार ते स्थिर , केसके तेमनां विमान फरतां नथी. जे ज्यां ने ते त्यां स्थिर रह्यां . एना पांच नेदमांथी एक चंद्रमा अने वीजो सूर्य, ए बेने इंझपदवी बे; बीजाने इंशपदवी नथी. मेरुने मूले संतला पृथ्वी थकी सातसें नेतुं योजन ऊंचा जश्ए तिहां तारानां विमान बे, तिहांथी दश योजने सूर्यनुं विमान बे, तिहांथी एंशी योजने चंडमानुं विमान बे, तिहाथी. चार योजन ऊंचा नक्षत्रनां विमान बे, तेथी उंचा सोल , योजनमा वली जूदा जूदा ग्रहनां विमान . ए रीते सर्व मली सातसें नेवु योजनथी उपरे एकसो दश योजनमा ज्योतिषी देव रहे बे. हवे चोथा वैमानिक देवोनी निकायना देवो कहे बे, (सुविहा वेमाणिया देवा के ) वैमानिक देवोना वे नेद बे, ते कहे . एक तो जे श्रीतीथंकरादिकना पांच कल्प एटले आचार जाणवा, माटे एने कल्पोपपन्न देवो कहीए. ते देवता सौधर्म, ईशानादि बार देवलोकना नेदे करी बार प्रकारे बे. ते बार देवलोकमां वली आउ देवलोक पर्यंत तो प्रत्येके एकेको इंज, अने नवमा तथा दशमा.

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