Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 63
________________ ( ५२ / गाथा ३४ मीना बूटा शब्दना अर्थ. बावीस-बावीश. पुढवी ए = पृथ्वी काय. सत्तय= सात. श्राजस्स=अप्काय. तिन्नित्रण. वालस्स= वायुकाय. वास-वर्ष. सहस्सा = हजार दस-दश. तरु = प्रत्येक वनस्पति. गणाण = समूह. तेज-तेज काय. तिरित्ता-त्रण अहोरात्र आऊ आयुष्य. अर्थः- ( पुढवीए बावीसा के० ) पृथ्वी काय जीवोनुं आयु उत्कृष्टथी बावीश हजार वर्षनुं होय बे, (सत्तय यास्स के० ) काय जीवोनुं श्रायु सात हजार वर्षनुं, ( वास्स तिन्नि के० ) वायुकाय जीवोनुं आयु त्रण हजार वर्षनुं, ( तरुगणाण के० ) प्रत्येक वनस्पतिसमूहनुं श्रायुष्य ( दस सहस्सा वास ho ) दश हजार वर्षतुं होय बे ने ( ते तिरताऊ के० ) तेजस्काय जीवोनी उत्कृष्ट श्रायुःस्थिति अहोरात्रानी होय वे अने ए वधा जीवोनुं जघन्यथी अंतर्मुहूर्त्त त्र्यायुष्य होय बे ॥ ३४ ॥ · दवे विकलेंद्रिय जीवोनुं यु कहे बे. वासाणि बारसाऊ, बिंइंदियाणं ति

Loading...

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97