Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(७) एथी इतर जे साधारण वनस्पतिकाय जीवो डे तेनी (चउदस लरका के) चौद् लद योनि (हवंति के० ) . (विगदिएसु दो दो के०) विकलेंघिय एटले बेइजिय जीवोनी बे लाख, तेइजिय जीवोनी बे लाख तथा चौरिंजिय जीवोनी वे लाख योनिउँ जाणवी; अने ( पंचिंदि तिरियाणं के ) पंचेंजिय तिर्यक् जीवोनी ( चउरो के) चार लद योनि बे॥ ४६॥ (चउरो नारय के० ) नारकी जीवोनी चार लद योनि , (सुरेसु चउरो के ) देवोनी पण चार लद योनि बे, (मणुआण के) मनुष्य प्राणीऊनी (चजदस हवंति के) चौद लाख योनिउ बे. एवी रीते (संपिंमिया य के) बधीने एकठी करतां सरवाले ( सवे के) सर्व ( चुलसी के ) चोराशी (लरकाउ के) लाख (जोणीणं के ) योनिउँ थाय ॥४॥
एवी रीते संसारी जीवो विषयक शरीरनुं मान, , आउखानी स्थिति, काय स्थिति, प्राण अने योनि • ए पांच हार कह्यां..
हवे सिद्ध जीवो विषयक कहे बे:सिक्षण नलि देदो, न आज कम्मं .

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