Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(पुणे)
न पाण जोणी॥ साइ अणंता तेसिं, दिई जिणंदाऽऽगमे नणिया ॥४॥
गाथा ४७ मीना बूटा शब्दना अर्थ. सिघाण-सिखने. साइ-सादि. नधि-नथी.
अता-अनंत. देहो-शरीर, देह.
तेसिं-तेमनी. नम्नथी.
लिई-स्थिति. आज आयु.
जिणंदाऽऽगमे जिनेष प्रणीत कम्म-कर्म.
सिझवने विषे. पाण-प्राण.
नणिया कही वे. जोगी-योनि. __ अर्थः-( सिकाण देहो नदि के ) सिझ परमात्माने शरीर नथी, माटे (न आज कम्मं के०) आयु अने कर्म पण नथी; अने ज्यां आयु न होय त्यां (पाण जोणी न के) प्राण अने योनि पण नथी. ए सर्वनो अनाव होवाथी काय स्थित्यादिकनो पण अंजाव दर्शाव्यो. एम सर्व कर्मोपाधिविमुक्त अने जे लोकना अग्र नागने विषे स्थित ने (तेसिं के) ते सिद्ध जीवोनी (साइ अयंता लिई के) सादि अनंत स्थिति, ते ( जिणंदाऽऽगमे

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