Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(५१) गाथा २६ मीना बूटा शब्दना अर्थ.
एएसि जीवाणं-ए जीवोनुं. जोणि-योनि. सरीरं-शरीर.
(पमाणं-प्रमाण. आऊ-आयुष्य.
जेसिं-जेमर्नु, विई-स्थिति.
जं-जेटलु. सकायंमि-पोतानी कायने विषे. अस्थि-डे. पाणा-प्राण,
तं नगिमोतेलु कहीशुं. अर्थः-(एएसिं के) ए पूर्वोक्त एकेडियादिक (जीवाणं के ) जीवोना एक ( सरीरं के) शरीरनुं प्रमाण, वीजुं (आज के ) जघन्यथी तथा उत्कृष्टथी आयुष्यनुं प्रमाण, त्रीजु (वि सकायंमि के०) एकेंजियादिक जीवो मरण पामीने फरी त्यांज उत्पन्न थाय एवीजे खकाय स्थिति तेनुं प्रमाण, चोथु ( पाणा के) इंजियादिक दश प्राणोतुं प्रमाण, पांचमुं ( जोणिपमाणं के) चोराशी लद योनि मांहेली कया कया जीवोमां केटली केटली योनि होय तेनुं प्रमाण, ते (जोर्स जं अनि के) जे जे जीवोनुं जेट डे (तं जणिमो के) ते जीवोनुं तेटर्बु अमे कहीशुं ॥ २६ ॥

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97