Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 56
________________ सत्तमाइ सातमी आदि. नेया-जाणवू. पुढवीए-पृथ्वीने विषे. रयणप्पहा-रत्नप्रना. तत्तो तेथी. जाव-ज्यांसुधी. अधचूणा अर्धा अर्धा उंग.। अर्थः-( सत्तमाय पुढवीए के) तमस्तमःना. नामनी सातमी आदि नरकपृथ्वीमा रहेनारा (नेरश्या के) नारकीर्जनां शरीरोनुं प्रमाण आवी रीते :-( धणुसयपंच पमाणा के ) सातमी पृथ्वीना नारकीनां शरीरोनुं प्रमाण पांचसे धनुष्य जेटली उंचानुं बे. एम अनुक्रमे (तत्तो अबणा के) तेथी अर्ध अर्ध संख्या जणी करवी, एटले अढीसें धनुष्य जेटला प्रमाणनुं शरीर बही पृथ्वीना नारकीटना शरीरोनुं होय . सवासो धनुष्य उंचाश्चं प्रमाण पांचमी पृथ्वीना नारकीउनां शरीरोनुं होय . सामा बासठ धनुष्य उंचा नुं प्रमाण चोथी पृथ्वीना नारकीनां शरीरोनुं . होय जे. सवा एकत्रीश धनुष्य' ऊंचाश्र्नु प्रमाण त्रीजी पृथ्वीना नारकीनां शरीरोनुं होय . सामा पंदर धनुष्य अने बार अंगुल उंचाचं प्रमाण बीजी पृथ्वीना नारकीनां शरीरोनुं होय बे. स

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