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दश नवनपतिना देवो रहे ,अने उपरला एक हजार योजन मूक्या वे तेमांथी वली सो योजन हेग्ल अने सो योजन उपर सूकी वाकी आउसो योजन रह्या तेमां आठ व्यंतरनी निकाय . ए आठ निकायमां पण दक्षिण अने उत्तर दिशिमली एकेकी निकायना बे बेजबे, ते वारे सोल इज व्यंतर देवोना ने तथा वली उपरला जे एकसो योजन सूक्या तेमांथी वली दश योजन उपर तथा दश योजन नीचे मूकीए, चाकी एंशी योजन रहे तेमां आठ प्रकारना वाणव्यंतर देवो रहे बे. एमां पण पूर्वोक्त रीते एकेकी निकायने विषे बे वे इंज गणतां सोल इंज वाणव्यंतर देवोना बे. सर्व मली बे प्रकारना व्यंतर देवोना बत्रीश इंश . तेनी साथे पूर्वोक्त जवनपति देवोना वीश ई मेलवीए ते वारे बावन इंस थाय.
हवे त्रीजा ज्योतिषी देवोनी निकायना देवो कहे . (जोशसिया पंचविहा के०) ज्योतिष्क देवोना पांच नेद , तेथाः-चंद्र, सूर्य, ग्रह, नत्र तथा तारा. ते फरी बे प्रकारना बेः- एक चर ने बीजा स्थिर, तेमां जे मनुष्यक्षेत्रने विषे ज्योतिषी ने ते चर एटले अस्थिर सदाकाल फरता रहे थे,