Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 48
________________ ( ४१ ) ए रीते वे देवलोक जोमाजोडे बे. तेवारे वली त्रीजो सनत्कुमार दक्षिण दिशिए अने चोथो माहेंद्र उत्तर दिशे, ए रीते वे देवलोक जोमाजोडे बे. तेवार पबी वली पांचमो ब्रह्म देवलोक, बो लांतक, सातमो शुक्र, आठमो सहस्रार, ए चार देवलोक अनुक्रमे एक एकनी उपर केटले केटले यांतरे एकला एकवाज बे. तेवार पी वली केटलाएक उंचा जइए त्यां नमो नत ने दशमो प्राणत ए बे देवलोक दक्षिण ने उत्तरे जोमाजोडे बे. तेवार पढी वली पण केलाएक उंचा जइए तेवारे अगीयारमो आरण ने बारमो अच्युत ए बे देवलोक दक्षिण ने उत्तर दिशे जोमाजोडे बे. तेवार पी वली केटलाएक उंचा जइए तेवारे चौद राजलोकरूप पुरुषना गलाने स्थानके नव ग्रैवेयक बे. तेवार पी वली केटलेक उंचे पांच अनुत्तर विमान बे. तेवार पढी चौद राजलोकरूप पुरुषना ललाटने ठेकाणे सिद्ध शिला बे, ते स्फटिक रत्ननी परे निर्मल बे, तिहां सिद्धना जीवो रह्या बे. एम ए देवताने रहेवानां स्थानक कह्यां. दवे इहां वली to प्रकारना किल्बिषिया देवो तथा नव प्रकारना

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