Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 44
________________ (५३) बे, तेमां तेर पाथमा , ते तेर पाथमाना बार आंतरा बे, तेमांथी पहेलो अने बेझो आंतरो 'मूकीने बाकीना दश आंतरा वचाले रह्या, ते मांहे एकेके आंतरे एकेका जवनपति देवोनी निकाय , ते दशे निकायमांप्रत्येके एक दक्षिणे अने एक उत्तरे मली बेबे इंस, ते वारे दश निकायना वीश इंस बे.ए प्रथम जवनपति देवोने रहेवार्नु स्थानक कडं. . हवे ए बीजा व्यंतर निकायना देवो कहे . (अहविहा वाणवंतरा हुँति के ) आठ प्रकारना वाणव्यंतर देवो बे, तेमां व्यंतर देवोना आउनेद बे, ते आः-पिशाच, नूत, यद, राक्षस, किन्नर, किंपुरुष, महोरग अने गंधर्व, तथा बीजा अणपन्नी, पणपन्नी, रुषिवादी, नूतवादी, कंदित, महाकंदित, कोहंम अने पतंग, ए आठ नेद जे ते वाणव्यंतर देवोना जाणवा. : मेरु पर्वतना मूलमां सरखी पृथिवी . त्यांथी मांमी नीचे जइए ते वारे ( १०) योजन रत्नप्रजा पृथिवीना तलीया लगण थाय, तेमांथी एक हजार योजन उपर अने एक हजार योजन नीचे मूकीए, बाकी (१NGur)योजनमां पूर्वोक्त तेर पाथमा दे, तेमां

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