Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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सात प्रकारना बे. ते सात पृथ्वीनां नाम कहे बे: - घमा, वंशा, सेला, अंजणा, रिठा, मघा तथा माघवती, ए सात ठेकाणे उत्पन्न थयेला जीवोने नारकी कहीए. तथा तेमनां गोत्रनां नाम कहे बे. रत्नप्रजा, शर्कराप्रजा, वालुकाप्रजा, पंकजा, धूमप्रजा, तमःप्रजा तथा तमस्तमः प्रना, ए सात प्रकारने पर्याप्ताना तथा अपर्याप्ताना नेदे गणतां चौद वेद नारकी जीवोना थाय बे ॥ १५ ॥
हवे पंचेंद्रिय तिर्यंचना जेद कहे बे:जलयर थलयर खयरा, तिविदा पंचेंदिया तिरिरका य ॥ सुसुमार मच कछव, गाहा मगराइ जलचारी ॥ २० ॥ गाथा २० मीना बूटा शब्दना अर्थ.
जलयर = जलचर.
'थलयर - थलचर-
1 खयरा - खेचर.
तिविहाण प्रकारना. पंचेंदिया-पंचेंप्रिय..
तिरिरका - तिर्यंच...
सुसुमार-सुसुमार.
महं=माबलां.
कछव - काचबो.
गाहा=कुंम.
मगराइ - मगर विगेरे.
जलचारी - जलचर जीव.

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