Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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हवे खेचर जीवोना नेद कहे बे:खयरा रोमयपरकी, चम्पयपरकी य पायमा चेव॥नरलोगाउँ बाहिं, समुग्गपरकी विययपरकी ॥१२॥
गाथा २२ मीना बूटा शब्दना अर्थ. खयरा-खेचर जीच. चैव-निश्चे. . रोमय-रुवाटांनी पांखवाला. नरलोगार्ज-मनुष्यलोकनी. परकी-पक्षी.
वाहि-वहार. चम्मय-चाममानी पांखवालां. समुग्ग-संकोचेली पांखवालां. पायमा प्रगट. वियय-विस्तारेली पांखवालां:
अर्थः-(खयरा के) खेचर जीवो ते आकाशने विषे विचरनारांजे पक्षी ते वे प्रकारनां बेः-एक (रोमयपरकी केस) रोमज पदीर्ड, एटले जेउनी पांखो
रोमसंयुक्त होय रे,जेवां के, शुक, हंस तथा सारसा. दिक पदी तेमज पारेवां, कागमा, चकलां, पोपट प्रमुख एनी पांख मोवालानी होय , ते (य के)बीजां (चम्मयपरकी के)चसेज पदीनी (पायमा के) प्रगट अर्थ के. एटले जेऊनी पांखो चाममाना जेवी होय ठे तेने चर्मज पदी कहीए. जेवां के, चामाची

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