Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ ( ३८ ) कर्मभूमि क्षेत्र बे; एने विषे युग लिया मनुष्य रहे बे, तेनुं सदाकाले एक गाउ देहमान ने एक पल्यो - पमनुं आयु. बे. त्यां सदाकाल त्री जो आरो वर्त्ते बे. तथा वली ते पूर्वोक्त हिमवंत नामे युग लियाना क्षेत्रथी उत्तर दिशे एक महाहिमवंत पर्वत बे, ते पर्वतनी उत्तर दिशे हरिवर्ष नामे युग लियानुं देत्र बे तथा पूर्वोक्त हिरण्यवंत नामे युगलियाना क्षेत्रथी दक्षिण दिशे एक रूपी नामे पर्वत बे, ते पर्वतनी दक्षिण दिशे एक रम्यक नामे युग लियानुं क्षेत्र बे. ए रीते एक हरिवर्ष तथा बीजुं रम्यक एबे कर्मभूमि क्षेत्रमां युगलियां वसे बे, तेनुं सदाकाले बे गाउ देहमान ने वे पल्योपमनुं श्रायु बे. त्यां सदाकाल बीजो आरो व बे. - तथा वली हरिवर्ष नामे युग लियाना देत्रथी उत्तर दिशे मेरुनी तरफ लाल हिंगला जेवा वर्णे निषध नामे पर्वत बे, तेनी पासे एक देवकुरु नामे युगलियानुं देत्र बे तथा वली मेरु थकी उत्तर दिशे जे रम्यक नामे युगलियानुं क्षेत्र बे तेनाथी दक्षिण दिशे नील वर्णे एक नीलवंत नामे पर्वत बे, ते पर्वत की दक्षिण दिशे मेरुनी ·

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97