Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 32
________________ ९३ / नामनां हथियार देहरक्षणार्थे लोक करे छे, ए जीवने लोकसां काचवाना नामे उलखे बे, चोथो ( गाहा के० ) ए जीवो समुद्रमां तेमज मीठा पाणीना तलाव प्रमुखमा पण याय बे. ए जीव तंतु आकारे होय बे, ने अति बलवान् होय बे, पाणीमां यतुं एटलु जोर होय वे के ते हाथीने पण घसकी जाय बे, एने लोकसां फुंरु एवे नामे जलखे बे, पांचमी ( मगर के० ) मगर, ए जीव समुद्रसां होय बे, एनुं शरीर अति विशाल होय बे, ए लोकमां मगरमत्स्य एवे नामे उलखाय बे, ए (आइ के० ) आदि शब्दे करी बीजा पण ( जलचारी के० ) जलचर जीव घणा प्रकारना बे. ए जलचर पंचेंद्रिय तिर्यंच जीवना भेद का ॥ २७ ॥ " हवे स्थलचर जीवोना नेद कहे :चडपय डरपरिसप्पा, जुयपरिसप्पा य यलयरा तिविदा || गो सप्प नउलपमुदा, बोधवा ते समासेणं ॥ २१ ॥ गाथा ११ मीना बूटा शब्दना अर्थ. | जरपरिसप्पा- नरः परिसर्प. चचपय = चार पगवालां.

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