Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( २ )
हवे उपर त्रण प्रकारना जे तिर्यंच जीवो का ते एकेका वली बेबे ने बीजी रीते कहे डे:सवे जलथल खयरा, समुचिमा गनया उहा हुंति ॥ कम्पाकम्मग भूमि, अंतरदीवा मगुस्सा य ॥ २३ ॥
गाथा २३ मीना बूटा शब्दना अर्थ. स सर्व प्रकारना
जल-जलचर.
थव-स्थलचर.
खयरा - खेचर.
समुचिमा = संमूर्हिम.
गया - गर्भज.
हा- वे प्रकारना
हुति - बे.
कम्माकम्मग भूमि- कर्मभूमि
कर्मभूमिना. अंतरदीवा= अंतरदीपना.
मणुस्सा = मनुष्य.
अर्थ:- ए उपर कहेला ( सवे के० ) सर्व प्रका रना ( जल थल खयरा के० ) जलचर, स्थलचर तथा खेचर जीवो ते एक ( समुचिमा के० ) संमूबीजा ( गया के० ) गर्भज ए ( उहा के० ) द्विधा एटले वे प्रकारना ( हुंति के० ) बे. एम प्रत्येकना बब्बे प्रकार होवाथी बनेद थया. तेमां जे जीवो माता पितानी अपेक्षा विना उत्पन्न यायतें संमूर्छिमकवाने जे जीवो गर्नमां उत्पन्न

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