Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(२७) हवे पंचेंजिय जीवोना नेद कहे बे:. पंचिंदिया य चनदा, नारय तिरिया
भगुस्स देवा य ।। नेरच्या सत्तविहा, . लायचा पुढविजेएणं ॥१५॥
गाथा १ए भीना बूटा शब्दना अर्थ, पचिंदिया-पंचेंजिय. नेरझ्या नारकीना जीव.' चहाचार प्रकारना. . सत्तविहा-सात प्रकारना. नारय-नारकी.
नायवा-जाणवा. तिरिया-तिर्यंच. पुढविजेएणं ( रत्नप्रजादि) मणुस्स-मनुष्य.
__ पृथ्वीना नेदे करीने. देवा-देवता. " अर्थः-(पंचिंदिया के) जेने स्पर्शनेंजिय,रसनेंप्रिय, प्राणे प्रिय, चक्षुरिंघिय तथा श्रोत्रिय ए पांच इंजियो होय ते पंचेंजिय जीव कहेवाय , श्हां “च” समुच्चयार्थमां बे. ते जीव (चव्हा के चार प्रकारना . एक (नारय के.) नारकी, बीजा '( तिरिया के ) तिर्यंच, जीजा (मणुस्स केण)
मनुष्य, चोथा ( देवा के ) देवता. ते मां प्रथम र(नेरश्या के) नारकीना जीव ते (पुढविजेएणं के०), वरत्नप्रजादि पृथ्वीना नेदे करी ( सत्तविहा के.)

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