Book Title: Jiva Vichar Prakaran
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 12
________________ वे, (आईया के ) इत्यादिक (खनु के) निश्चेकरी (वाउकायस्स के ) वायुकाय संसारी जीवोना! (नेया के०) लेदो जाणवा. ए प्रमाणे उगाथाए करी पृथिवी, अप, तेज तथा वायुकायना नेद कह्या॥७॥ . हवे वनस्पतिकायना नेद कहे :साहारण पतेआ, वणस्सइ जीवा । उहा सुए जाणा ॥ जेसिमणंताणं तणु, एगा साहारणा तेज ॥७॥ गाथा सीना बूटा शब्दना अर्थ. साहारण-साधारण. जेसिं-जेमतुं. पत्तेया-प्रत्येक. नणंताणं अनंत जीवोन. . चणस्स-वनस्पतिकाय. तणु-शरीर. जीवा-जीवो. एगा-एक. उहा-वे प्रकारना. साहारणा-साधारण. सुए-सिद्धांतने विषे. तेज-तेने. जाणा-कहेला . ___ अर्थः-(वणस्स जीवा के) वनस्पतिकाय जीवो ते एक (साहारण के) साधारण अने बीजा (पत्तेआ के०) प्रत्येक, ए (इहा के०) वे प्रकारना (सुए के) सिद्धांतने विषे (जणि के०)कहेला जे.

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