Book Title: Jayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Author(s): Ganpati Krushna Gurjar
Publisher: Granth Prakashak Samiti

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना। प्रायः सभी शिक्षा-संस्थाओंका उद्देश्य मनोरंजन द्वारा सदाचार और विद्याका प्रचार करना होता है ; परन्तु मनोरंजनकी जितनी सामर्थ्य नाटकमें है उतनी और किसीमें नहीं। यही कारण है कि पुस्तकके पढ़नेवालोंमें नाटक और उपन्यास पढ़नेवालोंकी सबसे अधिक संख्या होती है और शायद इसीलिये विश्वकल्याणकी कामना करनेवाले ज्ञानरवि महात्माओंने अपने उच्चतम विचार और पवित्रतम कल्पनाओंको नाटक अथवा उपन्यास द्वारा ही प्रायशः प्रकट किया है । परन्तु उपन्याससे नाटकमें ही अधिक आकर्षणशक्ति है ; क्योंकि उपन्यास केवल साक्षर मनुष्यों के हितार्थ और नाटक निरक्षरके भी उपयोगार्थ है । जो लोग शिक्षित नहीं हैं वे नाटक रंगमंचपर देख सकते हैं और उससे लाभ उठा सकते हैं। इस प्रकार साक्षर निरक्षर दोनोंका मनोरंजन कर अच्छे संस्कार फैलानेको यदि किसी वस्तुमें शक्ति है तो वह नाटक ही है। - आजकलकी नाटक-कंपनियोंके खेल देखकर बड़े दुःखके साथ कहना पड़ता है कि नाटकका बाह्यांग सजानेपर ही सूत्रधारोंका अधिक ध्यान होनेसे नाटकसे प्रेक्षकगण कोई लाभ नहीं उठा सकते । प्रत्येक वस्तुका एक खास उद्देश्य होता है--नाटकका भी उद्देश्य होना चाहिये । केवल मनोरंजन उस उद्देश्यकी पूर्तिका एक साधन मात्र है । परन्तु साधनको ही साध्य समझ कर जब नाटक लिखे अथवा खेले जाते हैं तब उनका लोगोंके आचार-विचारपर बुरा प्रभाव पड़ा.. For Private And Personal Use Only

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