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नहीं। इसी प्रकार मैत्री भाव, मार्दव आदि धर्म भी साधना में सहायक हैं। समभाव की साधना सामायिक से आस्रव का निरोध रूप संवर होता है। जप साधना, मौन साधना, भक्ति उपासना और अन्य सत् प्रवृत्तियाँ भी संवर में सहायक है।
आस्रव और संवर तत्त्व के बोध के साथ आध्यात्मिक साधना के बोध हेतु भी यह पुस्तक उपादेय है।
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जैनतत्त्व सार