Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner
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में से प्रथम भंग में अवशिष्ट दूसरा तीसरा छोटे बड़े के क्रम से और देसरे भंग में तीसरा दूसरा बड़े छोटे के क्रम से रखे गये हैं। इस प्रकार हेर फेर करते हुए एक कोष्ठक हो जाता है। शेष कोष्ठकों में भी इसी प्रकार परिवर्तन करने से छः छः भंग बन जाते हैं।
इस प्रकार समझ कर ऊपर के दो यंत्र याद रखने से आनुपूर्वी बिना पुस्तक की सहायता के जबानी फेरी जा सकती है। आनुपूर्वी को उपयोग पूर्वक जबानी फेरने से मन एकाग्र रहता है।