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जैन पारिभाषिक शब्दकोश
अत्यक्षर ज्ञानातिचार का एक प्रकार । पाठ का उच्चारण करते समय अतिरिक्त अक्षरों को जोड़ देना। अत्यक्षरम्-अधिकाक्षरम्। (आव ४.८ हावृ पृ १६१)
अत्यन्ताभाव अभाव का चौथा प्रकार। तादात्म्य परिणति का त्रैकालिक अभाव, जैसे चेतन में अचेतन का और अचेतन में चेतन का अभाव। कालत्रयापेक्षिणी हि तादात्म्यपरिणामनिवृत्तिरत्यन्ताभावः। यथा-चेतनाचेतनयोः।
(प्रनत ३.६५, ६६)
अदत्तादानविरमण तृतीय महाव्रत । अदत्तादान के परित्याग से होने वाली विरति।
(स्था १.१११) (द्र सर्वअदत्तादानविरमण) अदर्शन परीषह
(तसू ९.९) (द्र दर्शन परीषह) अदर्शनी वह व्यक्ति, जो सम्यग् दर्शन से रहित है।
(उ २८.३०) अद्धा पल्योपम
(अनु ४२९) (द्र अध्वा पल्योपम) अद्धा सागरोपम
(अनु ४३१) (द्र अध्वा सागरोपम)
अदत्तादान आश्रव आश्रव का एक प्रकार। स्तेय के द्वारा कर्म को आकर्षित करने वाली आत्मा की अवस्था। चोरी करै तिण नै कह्यो जी, आसव अदत्तादान।
(झीच २२.८) अदत्तादान पाप पाप कर्म का तीसरा प्रकार । चोरी करने की प्रवृत्ति से होने वाला अशुभ कर्म का बंध। (आवृ प ७२) अदत्तस्य-स्वामिजीवतीर्थंकरगुरुभिरवितीर्णस्याननुज्ञातस्य सचित्ताचित्तमिश्रभेदस्य वस्तुनः आदानं-ग्रहणमदत्तादानं, चौर्यम्।
(स्था १.९३ वृप २४)
अद्धासमय
(अनु १४९)
(द्र अध्वाकाल)
अदत्तादान पापस्थान पापस्थान का तीसरा प्रकार। वह कर्म, जिसके उदय से जीव अदत्तादान में प्रवृत्त होता है। जिण कर्म नै उदय करी जी, चोरी करै अयाण। तिण कर्म नै कहियै सही जी, अदत्तादान पापठाण ॥
(झीच २२.७) अदत्तादानप्रत्यय क्रिया क्रियास्थान का सातवां प्रकार। स्व और स्व से संबद्ध व्यक्तियों के लिए अदत्तादान की प्रवृत्ति। केइ पुरिसे आयहेउं वा णाइहेउं वा..."अदिण्णं आदियति, अण्णेण वि अदिण्णं आदियावेति, अदिण्णं आदियंतं पि अण्णं समणुजाणइ। एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ। सत्तमे किरियट्ठाणे अदिण्णादाणवत्तिए त्ति आहिए।
(सूत्र २.२.९)
अधर्मदान वह दान, जो हिंसा, असत्य आदि पापों में प्रवत्त व्यक्ति को दिया जाता है। हिंसानतचौर्योद्यतपरदारपरिग्रहप्रसक्तेभ्यः। यद्दीयते हि तेषां तज्जानीयादधर्माय॥
(स्था १०.९७ वृ प ४७१) अधर्मलेश्या अप्रशस्त भावधारा । कृष्ण, नील और कापोत-ये तीन लेश्याएं, जिनसे जीव प्रायः दुर्गति को प्राप्त होता है। किण्हा नीला काऊ, तिन्नि वि एयाओ अहम्मलेसाओ। एयाहि तिहि वि जीवो, दुग्गइं उववज्जई बहुसो॥
(उ ३४.५७) अधर्मास्तिकाय द्रव्य अथवा अस्तिकाय का एक प्रकार । स्थितितत्त्व, धर्मास्तिकाय का प्रतिपक्षी, स्थान (गति-निवत्ति) में वर्तमान जीवों
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