Book Title: Jain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Mutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore
View full book text
________________
तीर्थंकर तिर्यञ्च
४. ज्ञानमीमांसा
आगमों में ज्ञानवाद
मतिज्ञान
इन्द्रिय
मन
अवग्रह
ईहा
अवाय
धारणा
श्रुतज्ञान
मति और श्रुत अवधिज्ञान
मनः
न:पर्ययज्ञान
अवधि और मन:पर्यय
केवलज्ञान
दर्शन और ज्ञान आगमों में प्रमाणचर्चा तर्कयुग में ज्ञान और प्रमाण
ज्ञान का प्रामाण्य
प्रमाण का फल प्रमाण के भेद
प्रत्यक्ष
परोक्ष
५. सापेक्षवाद
(१२)
विभज्यवाद एवं अनेकान्तवाद एकान्तवाद और अनेकान्तवाद नित्यता और अनित्यता
सान्तता और अनन्तता
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
२४२
२४४
२४६-३३४
२४७
२५२
२५४
२५५
२५८
२६१
२६३
२६४
२७०
२७३
२७६
२८०
२८३
२८४
२९१
२९८
३०७
३१०
३१३
३१४
३१७
३१८
३३५-४१२
३३७
३४१
३४४
३४५
www.jainelibrary.org