Book Title: Jain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Author(s): Dilip Dhing
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 12
________________ 264-271 272-280 281-293 - वैचारिक सहिष्णुता - कर्मवाद और पुरुषार्थ - पुनर्जन्म का सिद्धान्त - भाग्यवाद बनाम पुरुषार्थवाद - कर्मबन्ध के पाँच कारण - आठ कर्म परिच्छेद तीन : कषाय-मुक्ति और सम्पन्नता - चार कषाय - षट्लेश्या और व्यक्तित्व परिच्छेद चार :आत्मवाद और मानववाद - वस्तु-स्वातन्त्र्य - स्थावर जीव - लस जीव - मानववाद और अर्थशास्त्र परिच्छेद पाँच : अहिंसा के अर्थशास्त्र के आयाम - अहिंसा की आधारशिला - शाकाहार और अर्थतन्त्र - जल-बचत और शाकाहार - शाकाहार : कम जमीन पर अधिक उत्पादन - शाकाहार यानि अन्न बचत - कत्लखाने और अर्थ-तन्त्र - कत्लखाने और पर्यावरण - मांस-निर्यात और अर्थतन्त्र परिच्छेद छः :संयम के अर्थशास्त्र के आयाम - आर्थिक संयम - संयम के प्रकार - जनसंख्या-सिद्धान्त और ब्रह्मचर्य - असंयम के परिणाम अध्याय षष्ठम : आगमिक और आधुनिक अर्थशास्त्र परिच्छेद एक : भ. महावीर का अर्थशास्त्रीय व्यक्तित्व - वर्धमान - कौटुम्बिक प्रेम 294-300 301-359 .302-306 (xi)

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