Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 14
________________ उन्हें लक्ष्मण और भरत से मिला था। राम और सीता को वनगमन करते हुए देख कर लक्ष्मण अपनी माँ सुमित्रा के पास जाते हैं और कहते हैं - 'माँ, भाई राम और भाभी सीता वन की ओर जा रहे हैं। उनके जाने से पहले मैं भी तुमसे एक वचन (आज्ञा) चाहता हूँ।' सुमित्रा ने कहा, 'बेटा, सौतेलेपन के कारण एक नारी ने, एक दीदी ने जो वचन माँगा था उसका यह दुष्परिणाम हुआ कि राम जैसे पुत्र को वनवास झेलना पड़ रहा है और दशरथ जैसे समर्थ सम्राट की पत्नी हो कर भी हमें घोर संकट का सामना करना पड़ रहा है। बेटा, इस समय तुम मुझसे कौनसा वचन माँगना चाहते हो? तुम्हें माँ से कोई वचन चाहिए तो भी इस घटित घटना की वेला को गुजर जाने के बाद कुछ भी मांग लेना।' लक्ष्मण ने कहा, 'माँ, वचन माँगने का यही समय है। आपने एक मिनट की भी देर कर दी तो मेरे पास जीवनभर प्रायश्चित करने के अलावा कुछ न बचेगा।' व्यथित होकर सुमित्रा ने कहा, 'जब सारा घर ही उजड़ चुका है, तब तू भी अपना वचन मांग ले। जब उजड़ना ही है तो यह भी उजड़ने में एक और निमित्त बन जाएगा।' तब लक्ष्मण ने कहा, 'माँ, बड़े भाई राम और भाभी सीता जिस वनगमन के लिए तत्पर हैं, मैं भी उनकी सेवा के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करना चाहता हूँ।' 'माँ सुमित्रा गद्गद् हो गई। उसने लक्ष्मण को हृदय से लगा लिया और बोली, बेटा, तुमने ऐसा कहकर माँ और कुल का गौरव बढ़ा दिया है। जो भाई, भाई के काम आ गया, वही वास्तव में भाई होता है। आने वाले समय में लोग जितने आदर से राम का नाम लेंगे उतने ही आदर से तुम्हारा नाम भी लेंगे।' समय गवाह है कि लक्ष्मण भी राम के समान आदरणीय हो गए। राम तो संभवत: पिता के वचनों का पालन करने को मज़बूर रहे होंगे, पर लक्ष्मण और भरत तो ऐसा करने के लिए बिल्कुल भी विवश नहीं थे। पर यही तो पारिवारिक भावना है और यही तो सामाजिक चरित्र और मूल्य हैं। सच्चाई तो यह है कि इन्हीं मूल्यों से भारतीय संस्कृति का निर्माण हुआ है। यह संस्कृति जिसके भी घर में है, वही भारतीय है। यदि ऐसा नहीं है तो आप आधे भारतीय और आधे परदेसी हैं। हर व्यक्ति अपनाअपना कर्तव्य समझे। ___ परिवार में पिता अपने और पुत्र अपने कर्त्तव्य समझें। सास अगर अधिकार रखती है तो वह अपने कर्तव्य समझे, बहू भी अपने कर्तव्य निभाए। भाई-भाई अपने कर्तव्य जानें तो देवर-भाभी भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें। परिवार तो यज्ञ के समान है जिसमें सभी सदस्य यदि अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए 13 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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