Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 125
________________ संजयजी को नोबेल पुरस्कार दिलाना पसंद करता। आप इसे ज़रूर देखें । इस फिल्म की कहानी एक अंधी, गूंगी-बहरी और मंदबुद्धि बालिका पर केन्द्रित है । उसके माँ-बाप ने उसके साथ वही व्यवहार किया जो किसी विक्षिप्त व्यक्ति के साथ किया जाता है, पर मिस्टर सहाय नाम के एक टीचर ने आखिर उसे अपने कठोर अनुशासन, कठोर मेहनत और महान् लक्ष्य के साथ उसे वह स्थान दिलाया जो कि किसी भी सम्पूर्ण शिक्षित व्यक्ति को मिला करता है । जॉन नाम की वह बच्ची संसार को आखिर यही संदेश देती है जिस डिग्री को हासिल करने में आपको बीस साल लगते हैं, उसे हासिल करने में मुझे चालीस साल लगे, पर कुदरती अभावों के बावज़ूद यदि व्यक्ति विकास करना चाहे तो वह भी ऊँचाइयों को छू सकता है । लोग समझते हैं कि ब्लैक का मतलब अंधकार। पर मेरे गुरु ने मुझे बताया है कि अंधापन ब्लैक नेस नहीं है, वरन् मन की ही भावना और निष्क्रियता ही इंसान का अंधापन है । लोगों ने धरती पर ईश्वर एक ही माना है, पर मैंने धरती पर दो ईश्वर देखे हैं । एक तो वह जिसने मेरे अंधे होने के बावज़ूद मेरे पत्थर को तराशा और मुझे अंधी - बहरी- गूंगीमंदबुद्धि बालिका को पोस्ट ग्रेजुएट होने का गौरव प्रदान किया। उस बच्ची ने कहा - यदि ईश्वर मुझसे कहे कि तुम्हें आँख मिल जाए तो तुम सबसे पहले क्या करोगी, तो मेरा ज़वाब होगा मैं अपने टीचर के रूप में आए भगवान को देखना पसंद करूँगी । जब अपाहिज व्यक्ति अपने संकल्प के साथ आगे बढ़ सकता है तो आपके पास तो सही सलामत देह है 1 कंधे - कंधे मिले हुए हैं, कदम-कदम के साथ हैं, पेट करोड़ों भरने हैं, पर उनसे दुगुने हाथ हैं। I भगवान की ओर से पेट तो एक ही मिला है पर हाथ तो दो हैं । यदि व्यक्ति अपने पुरुषार्थ को जगा ले तो कमजोर - से- कमजोर व्यक्ति भी अमीर बन सकता है। हमारे आस-पास ही ऐसे अनेक लोग मिल जाएँगे, जिन्होंने संघर्ष करते हुए आज वह मुकाम हासिल कर लिया है जो प्रेरणा प्रदान कर सके। मज़बूत मन का ही नाम सच्चा यौवन है । निराश, हताश, खिन्न युवा अठारह वर्ष की आयु में ही बूढ़ा हो जाता है और जो अस्सी वर्ष का है लेकिन मन उत्साह, ऊर्जा, उमंग से भरा है वह देह से बूढ़ा होकर भी युवा मन है । 124 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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