Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 129
________________ आगे बढ़ जाता है। वह उनका सही प्रयोग कर डालता है । जिस व्यक्ति के मन में आत्मविश्वास है उसको किसी और शक्ति या साधन की आवश्यकता नहीं है। हृदय सदा विश्वास से भरा होना चाहिए। मुझे प्रसन्नता है कि लोग मुझे इतने प्यार से सुनते हैं और अपनी खो चुकी ऊर्जा को फिर से जीवन्त कर लेते हैं। यानी मैं तो सेल-चार्जर हूँ | प्रेरणादायक पुस्तकें आत्म विकास में बहुत सहायक होती हैं । वे आपको आपके आदर्शों और लक्ष्य की याद दिलाती रहती हैं । आप ज्यों-ज्यों स्वयं को पहचानते जाएँगे, आपकी सोई हुई शक्तियाँ जगती जाएँगी। आत्मविश्वास को जगाने के लिए आप अपने हर दिन की शुरुआत स्वस्थ मन और मुस्कान के साथ करें, योग एवं प्राणायाम करें। जो सीखा है वह एक दिन के लिए नहीं है, उसे अपने जीवन में उतारें। तभी आपका पूरा दिन ऊर्जामय, उत्साहमय और उमंग से भरा होगा । प्रातः काल उठने के साथ ही देह व मन की जकड़न दूर हो जानी चाहिए। काम चाहे थोड़ा करें, पर पूरी ऊर्जा के साथ करें। पूरी ऊर्जा के साथ अगर काम किया जाएगा तो अंबानी और आदित्य, टाटा या बिरला होना किसी एक के ही हाथ की बात नहीं है । हममें से हर व्यक्ति विकास करके उन ऊँचाइयों को छू सकता है। जिसने भी विकास किया है उसके पीछे संघर्ष और आत्म-विश्वास की कहानी होती है । मैंने कभी कलेक्टर लक्ष्मीकांत भारतीय की कहानी पढ़ी थीं । कहते हैं उनके पिता स्वतंत्रता-सेनानी हुए हैं - कृष्णानंद भारती । महात्मा गाँधी के आज़ादी-आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। अपने पिता के पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए लक्ष्मीकांत भारती ने भी अपने आपको आज़ादी के समर में झौंक दिया। जब अदालत का घेराव करते हुए वे पकड़े गए तो माँ को खबर लगी कि बेटा कारागृह में डाल दिया गया है तो वह रो पड़ी। वह कारागार में बेटे के पास पहुँची और बोली, 'तुम्हारे पिता ने देश के लिए प्राण उत्सर्ग कर दिए। उनकी और मेरी दोनों की यही अभिलाषा है कि तुम भी देश के काम आओ । मेरा सपना था कि तुम कलेक्टर बनोगे लेकिन तुम तो बेड़ियों में जकड़कर कारागार में आ गए हो।' पुत्र ने कहा, 'माँ ये हथकड़ियाँ देश की आज़ादी के लिए हैं। अंग्रेजों की हथकड़ी से मुक्त होने के लिए मैंने ये हथकड़ी पहनी हैं। माँ, तुम विश्वास I 128 | घर को कैसे स्वर्ग बनाएं - 8 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146