Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 145
________________ उससे कहा - अरे! तू एक साथ दो-दो रोटियाँ क्यों खा रहा है? पहले लड़के ने ज़वाब दिया - डॉक्टर ने मुझे डबल रोटी खाने को कहा है। अंतिम बात : अच्छे लोगों की संगत कीजिए और अच्छी किताबें पढ़िए। ग़लत लोगों की संगत में रहोगे तो विचार और मानसिकता दोनों ही ग़लत होंगी और अच्छे लोगों की संगत में रहोगे तो विचार और मानसिकता दोनों ही अच्छी रहेंगी। उन दो तोतो की कहानी याद करो जिनमें एक तोता डाकुओं के अड्डे में रहकर लूट-खसोट की भाषा बोलने लगा वहीं दूसरा तोता पुजारी के घर रहकर राम-राम गुनगुनाने लगा। स्वाभाविक है फिल्म हॉल में जाकर बैठोगे तो वैसा असर आएगा और यहाँ हमें सुनने के लिए आओगे तो हमारे जैसा असर पड़ेगा। भोगी की संगत से व्यक्ति भोगी बनता है और योगी की संगत से व्यक्ति योगी। भोगी तो हम हैं ही, योगी की संगत करो। संभव है उनकी संगत हमें कंकर न रहने दे, कंकर को हीरा बना दे। अच्छी किताबें पढ़ो। एक अच्छी किताब इंसान के लिए गुरु का काम करती है। जैसे जूते-चप्पल-कपड़े-नमकीन-मिठाई खरीदने की आदत रखते हो, वैसे ही अच्छी किताबें खरीदने की भी आदत रखो। शरीर की पौष्टिकता के लिए तो हम अच्छे से अच्छा खाना खाते हैं, खिलाते हैं, पर बुद्धि की पौष्टिकता के लिए हम आलसी और लापरवाह रह जाते हैं। बुद्धि की खुराक है अच्छी किताबें, अच्छे विचार। अच्छी किताबें अपने घर लाओ, उनसे आपको हीरेमोती मिलेंगे। कम्प्यूटर-प्रणाली का सिद्धांत है : गुड इन, गुड आउट; रोंग इन रोंग आउट। अच्छा डालोगे तो अच्छा पाओगे। ग़लत डालकर सही को नहीं पाया जा सकता। जीवन को आनन्द-उत्सव का पर्व बनाना है तो एक ही बीज मंत्र याद रखो :बी पॉज़िटिव । हँसते रहो और सकारात्मक रहो । बस, इतना काफी है। सबके लिए अमृत प्रेम, नमस्कार। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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