Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 141
________________ ही घुट जाएगा। मेरे जैसा ससुर हो तो बहु को सोने की चूड़ी बाद में दिलाए पहले उसकी मनपसंद जिंस दिलाए । अरे भाई! बहु है तो क्या हुआ, अपनी बेटी ही है। अब बच्चे जिसमें राजी,अपन हो जाएँ उसमें राजी। घर के वातावरण को खुशहाल रखना अपन सब लोगों पर निर्भर करता है। बहु की खुशियों का ध्यान अगर सास-ससुर नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा। ऐसे ही सास-ससुर की सेवा और उनके सुख-दुख का ध्यान बहु नहीं रखेगी तो किसी और से तो होने से रही। वातावरण चाहे घर-परिवार का हो या कैरियर का, वातावरण कभी बोझिल नहीं होना चाहिए। जैसे आसमान में इन्द्रधनुष निकल आए तो आसमान सौ गुना ज़्यादा सुन्दर हो जाता है, ऐसे ही हमारे घर-आँगन में भी सब लोग हँसे-खिलें, साथ हिलमिल कर रहें तो हमारा घर स्वर्ग जैसा सुन्दर हो ही जाएगा। आइए, हम लोग अपने नज़रिए को ठीक करें और ऐसा करने के लिए हम पॉज़िटिव थिकिंग का मंत्र अपनाएँ। सोच को पॉज़िटिव बनाने के लिए हम पाँच मंत्र अपनाते हैं। पहला है : आधा गिलास भरा देखिए । सकारात्मक सोच का पहला उसूल है : हमेशा दूसरों की खासियत देखिए, खामियाँ नहीं। अगर कमियाँ देखने जाएँगे तो दुनिया में ऐसा कौन व्यक्ति है जिसमें किसी न किसी तरह की दो-चार कमियाँ न हों। अगर नज़रिया कमियाँ देखने का हो तो आपको मुझमें भी चार कमियाँ नज़र आ जाएँगी। मुझे तो छोड़ो, रामजी और महावीरजी में भी कमियाँ देखने वाला तो उनमें भी कमियाँ निकाल ही लेगा। कमियाँ देखना कमीनों का काम है। पॉज़िटिव थिकिंग का फलसफा तो यह है कि हमेशा सबके गुण देखो।अब तक अगले ने हम पर जो उपकार किया है उसे याद रखो। पिता ने आज अगर डाँट लगा दी तो उसे लेकर घर में आग मत लगाओ क्योंकि यही वह पिता है जिन्होंने अब तक सौ बार हमें संभाला है। सास ने हमें टोक दिया तो उसे लेकर अपना घर अलग मत बसाइए, क्योंकि यही वह सास है जो बड़ी आशा और उम्मीद के साथ हमें इस घर में ब्याह कर लाई है। यही वह देवी है जिसने हमें हमारा सुहाग पाल-पोसकर आज हमें सौंपा है। ___ पॉज़िटिव थिकिंग का सिद्धांत हमें बताता है कि आधा गिलास हमेशा भरा 140 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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