Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 50
________________ बाजारवाद का प्रभाव घरों में घुस आया है, जिससे युवा पीढ़ी भटकन के रास्ते पर जा रही है। तन पर वस्त्रों की कमी ने व्यभिचार को बढ़ावा दिया है। आजकल लड़कियों और महिलाओं के ऊपर के वस्त्र नीचे होते जा रहे हैं और नीचे के वस्त्र ऊपर आते जा रहे हैं । बिटियाएँ टाइट जींस और टाइट टी शर्ट पहनकर चलाएँगी स्कूटर, और ये हिन्दुस्तान की सड़कें, ठौर-ठौर पर गड्ढे! अब दिखने में कितना ऑड लगता है। वस्त्र पहनिए गरिमापूर्ण, मर्यादापूर्ण । आप विदेशी संस्कृति का भले ही अनुसरण कीजिए पर कपड़ों के मामले में उनका अनुसरण आपके लिए घाटे का सौदा साबित होगा। आपका सदाचार कम होगा, एड्स जैसे रोग बढ़ेंगे और सांस्कृतिक पतन होगा सो अलग। ___आजकल यौन-शिक्षा का भी प्रचलन बढ़ रहा है। बच्चों को अभी तो पाँचवीं कक्षा से ही यौन-शिक्षण मिलना शुरू हो रहा है, फिर एल.के.जी.. यू.के.जी. से भी शुरू हो जाएगा। हिन्दुस्तान का हाल तो देखो। सुना है, दिल्ली में कत्लखाना, कसाईखाना चलाने की ट्रेनिंग सीखने के भी कॉलेज खुल रहे हैं। छोटे बच्चों को यौन-शिक्षा दी जा रही है जबकि उन्हें तो जीवनविकास की शिक्षा दी जानी चाहिए। पर... जो नेता ये काम कर रहे हैं, जरा उनसे पूछो कि गधे-घोड़ों को कोई यौन-शिक्षा देता है क्या? तुम्हारे अथवा हमारे माँ-बाप को किसी ने यह ट्रेनिंग दी थी क्या? उम्र के विकास के साथ यह ज्ञान तो स्वतः ही हो जाता है। आने वाला कल ख़तरनाक मोड़ ले रहा है। मैं बच्चों से कहूँगा कि वे शिक्षा के प्रति गंभीर हों और बेहतरीन शिक्षा अर्जित करें। जो लोग थर्ड क्लास पास होकर शिक्षा के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहते हैं उससे तो कुछ परिणाम नहीं निकलने वाला है, पर यदि आप शिक्षा के प्रति गंभीर हो जाते हैं तो अपने केरियर के निर्माण की बहुत बड़ी भूमिका स्वयं ही बना चुके होते हैं। अच्छी शिक्षा और प्रतिभाएँ जितनी आज आगे बढ़ रही हैं वह अपने आप में आज स्वागतयोग्य है। अच्छे कॉलेज से लड़का पास होकर बाद में निकलता है उससे पहले ही नौकरी के लिए बड़ी-बड़ी कम्पनियों के ऑफर तैयार रहते हैं। कितने बड़े आश्चर्य की बात है कि केट या पी.एम.टी. अथवा सी.ए. युवक को शुरुआती चरण में ही पच्चीस-पच्चीस और पचासपचास लाख के पैकेज मिल रहे हैं। अब अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों के मालिक और शेयर होल्डर्स भी इस बात को समझने लग गए हैं कि यदि अपनी कम्पनी को 49 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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