Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 115
________________ में भी प्रेम का संचार होगा । हँसते - खिलखिलाते खाना बनाएँ । कहते हैं न् 'जैसा खावे अन्न वैसा रहे मन' । जैसे आपके मन के भाव होंगे वैसा ही खाने का परिणाम आएगा और वैसा ही प्रभाव तन और मन पर होगा । रसोईघर में सफाई रखें। सुबह, दोपहर, शाम को क्लीनिंग करें ताकि जीव-जंतु - कीटाणु पैदा न हों। सफाई पहली आवश्यकता है तो सामग्री दूसरी आवश्यकता । डिब्बे भरे हुए रखें, पर ऊपर ढके हुए रखें। गृहलक्ष्मी वही है जो रसोईघर को भरपूर रखे। जिस घर में खाना खाने से पहले अतिथियों को खाना खिलाया जाता है उस घर की माटी भी मंदिर के चंदन के तुल्य होती है । जिस घर में अतिथियों का सम्मान नहीं होता, मेहमानों की आवभगत नहीं होती, वहाँ कम-से-कम हम जैसे लोग तो आहार लेना पसंद नहीं करते । पहले घरों में 'अतिथि देवो भवः' लिखा जाता था, जमाना बदला 'स्वागतम् या वेलकम' लिखने लगे, और जमाना बदला, अब लिखा जाता है ' कुत्तों से सावधान।' यह हमारी संस्कृति की गिरावट है । रसोईघर में स्वास्थ्य के लिए जो उपयोगी और ज़रूरी साधन हैं, उन्हें अवश्य रखियेगा। सबसे पहले, अजवाइन ज़रूर रखें और किसी-न-किसी बहाने रोज़ाना एक चुटकी अजवाइन ज़रूर खा लीजिएगा । जिन्हें गैस की प्रॉब्लम रहती है, वे अधकचरी आधी चम्मच अजवाइन में एक चुटकी काला नमक मिलाकर फाँक लें, ऊपर से गुनगुने पानी में नींबू डालकर पीलें। गैस की प्रॉबल्म में राहत मिलेगी। अपने भोजन में लौंग का प्रयोग भी ज़रूर करें क्योंकि लौंग से पित्त का प्रकोप नष्ट होता है। ज़्यादा पित्त पड़ते हों तो रात में दस लौंग पानी में भिगो दीजिए और सुबह उन्हें पीसकर मिश्री का पाउडर मिलाए और शर्बत बनाकर पी लीजिए। लगातार तीन दिन तक इसका सेवन करें, पित्त गिरना बंद हो जाएगा। साबुत धनिये में कैल्शियम और अन्य खनिज लवण होते हैं । अतः इसका प्रयोग करना भी न भूलें । कालीमिर्च का भी उपयोग करें। कालीमिर्च कफ की बीमारी में फ़ायदेमंद होती है। गला भारी हो जाए तो खोल देती है । जब भी खाँसी -: - ज़ुकाम के कारण गला बैठ जाए तो झट से दो कालीमिर्च और मिश्री का एक टुकड़ा मुँह में रख लीजिए । गला साफ़। 114 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146