Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 60
________________ यह तो माँ की मंगलकामना की बात है, पर हमारे नखरों की बात ! जरा अपने उन नखरों को याद करें कि माँ, मुझे तो आज अजवाईन वाली रोटी ही खानी है। मुझे तो भिंडी के भाजे और टमाटर की खट्टी मीठी सब्जी ही चाहिए। भिंडी के भाजों से लेकर मक्की के गरम-गरम भुट्टे और वो दही की माखनियाँ लस्सी और ठण्डा-ठण्डा श्रीखण्ड, हममें से कौन ऐसा है जो इन नखरों का ऋण उतार पाए। ओह, मैं क्या-क्या कहूं, क्या-क्या गिनाऊँ ? एक बात तय है जिनके जीवन में माँ है, वे धन्य हैं । उनका जीवन पूर्ण है। जिसे अपनी माँ का अहसास है, वही श्रवण कुमार की भूमिका अदा कर सकता है। जिसने माँ की उपेक्षा कर डाली उसने केवल जन्मदात्री माँ की ही नहीं, माँ के नाम पर धरती के भगवान की भी उपेक्षा कर डाली। ___ मैंने माँ की ममता को समझा है, जाना है। इसीलिए जब-जब माँ की ममता का बखान करता हूँ तब-तब मुझे लगता है कि मैं माँ पर नहीं धरती पर जन्म देने वाले परमात्मा पर बोलता हूँ। जब-जब मुझे परमात्मा के चरणों में चार फूल चढ़ाने होते हैं तब-तब माँ के श्रीचरणों को परमात्मा का मन्दिर समझकर वहीं मत्था नवा लेता हूँ। हम माँ की ममता को, उसके अहोभाव को, उसके अवढर दान को समझें। एक बड़ी प्यारी घटना है। हम एक स्थान पर ठहरे हुए थे। हम बैठे थे कि मेरी नजर एक गिलहरी पर गई जो अपने बच्चों के साथ एग्जोस फेन के आले में रहती थी। किसी को भी इस बात की ख़बर न थी। वहां एक समारोह था। कार्यक्रम में डेढ़ घण्टे तक एग्जोस फेन चलता रहा। कार्यक्रम पूर्ण होने पर मेरी नज़र उस एग्जोस फेन के आले की ओर गई। मैंने देखा कि उस एग्जोस फेन के बन्द होते ही अन्दर से एक गिलहरी बाहर निकलकर आई। मैं चौंक पड़ा। मैंने ईश्वर को साधुवाद दिया कि तेरा लाख-लाख शुक्र है कि आज यह गिलहरी सुरक्षित बच गई। वह गिलहरी वहां से निकली और कुछ ही पलों में घुम-घामकर उसने एक और नए आले को तलाश लिया। गिलहरी वापस उस एग्जोस फेन में चली गई। मैंने बगल में खड़े लोगों को सचेत किया कि इसमें गिलहरी गई है, भूलकर भी पंखा मत चलाना। | 59 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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