Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 98
________________ चाहत में पेट पर अतिरिक्त भार पड़ता है और बीमारियों का आक्रमण शुरू हो जाता है। याद रखिए : बीमारियों का रास्ता पेट से होकर गुज़रता है। आप एक काम करें-आप एक सुव्यवस्थित चार्ट बनाएँ जिसमें पौष्टिक आहार की प्रधानता हो। खनिज, लवण, विटामिन से भरपूर भोजन करें, हरी सब्जियों का, फलों और दूध का प्रयोग करें। कभी-कभी स्वाद बदलने के लिए चटखारे ले सकते हैं, पर सावधान ! इसे आदत न बनाएँ। सुबह हल्के नाश्ते के साथ एक गिलास दूध लें। ग्यारह बजे के आसपास सादा भोजन करें, पर मिठाई से परहेज रखें। दो-तीन फुलकों के साथ हरी सब्जियाँ, दाल खाइए, थोड़ा-सा चावल भी ले सकते हैं। खाना खाने के बाद छाछ ज़रूर पीजिए। दोपहर में फल या फलों का रस लीजिए। चाय-काफी की आदत से निजात पाइए। ये मीठे ज़हर हैं। सूरज ढलने के पूर्व भोजन करने का प्रयास कीजिए ताकि सोने से पूर्व आपको चार घंटे पानी पीने के लिए मिल सकें। अगर खाना खाकर तुरंत सो जाएँगे तो भोजन कैसे पच पाएगा और नतीज़ा? दूसरे दिन अपच हो जाएगा। खट्टी डकारें आएँगी, गैस बनेगी। हाँ, अगर रात में भूख का अहसास हो तो गाय का दूध अथवा आधा-पौन गिलास मलाई उतरा दूध पिया जा सकता है। इससे आप स्वस्थ रहेंगे। गाँधीजी बकरी का दूध लेते थे। बकरी का दूध हलका होता है। जल्दी पच जाता है। वैसे गाय का दूध सहज उपलब्ध हो जाता है। आप गाय का दूध लीजिए। प्राणायाम अवश्य कीजिए। प्राणायाम के लिए श्यास लेने की सही विधि सीखिए। आपने किसी बच्चे को श्वास लेते हुए देखा होगा और न देखा हो तो उसे गौर से देखें। शिशु पेट से साँस लेता है। श्वास लेते समय उसका पेट ऊपर नीचे होता रहता है। श्वास लेने का यही सही तरीक़ा है। हम एक मिनट में 16 साँस लेते हैं। अगर हम ग़लत साँस लेते हैं तो ध्यान रखिए कि हम हर दिन में तेईस हज़ार बार गलती करते हैं । साँस को कभी जल्दी या झटके से न छोड़े। बल्कि उसमें लयबद्धता बनी रहे। शांत, लम्बी और गहरी सांस ही श्वास लेने की सही विधि है। सुबह-सुबह खाली पेट उषापान कीजिए अर्थात् रात को तांबे के लोटे में या मिट्टी के घड़े में पानी भरकर रख दीजिए और सुबह उठकर दो-तीन 97 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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