Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 48
________________ चार लड़के पकड़े जा चुके हैं। पाँचवाँ तुम्हारा बेटा था, हम उसे पकड़ने आए हैं' पुलिस ने बताया । पिता ने फिर पूछा- 'क्या मेरे लड़के ने शरारत की है ?' पुलिस ने कहा - 'हाँ' । पिता सीधे अपने बेटे के कमरे में गया, उसे जगाकर खड़ा किया और पूछा - 'क्या तुमने आज किन्हीं लड़कियों से छेड़खानी की ?' पुत्र चौंका और उसने शर्म से गर्दन नीचे झुका ली। पिता समझ गए कि उसने ऐसा किया था। वे बाहर आए और पुलिस से कहा- 'मेरा बेटा अंदर है, जाकर उसे पकड़ लीजिए।' बेटे को आश्चर्य हुआ कि पिता ही अपने पुत्र को गिरफ्तार करवा रहा है। पिता तो अपने बेटे को छुड़वाने की कोशिश करता है । यह कैसा पिता है जो अपने ही बेटे को पुलिस को सौंप रहा है ? जैसे ही पुलिस पुत्र को ले जाने लगती है तभी पिताजी पीछे से आवाज़ देकर इंस्पेक्टर को बुलाते हैं, और पाँच हजार रुपए उसके हाथ में रखते हैं । इसलिए नहीं कि बेटे को छुड़ाना है बल्कि इसलिए कि पुलिस उसकी ऐसी खबर ले कि आगे से वह लड़कियों को छेड़ना भूल जाए। पिता ने इंस्पेक्टर से कहा, 'ये पाँच हजार रुपए इसलिए हैं कि आप मेरे बेटे की ऐसी पिटाई करें कि भविष्य में वह कभी ऐसा गलत काम न कर पाए । ' पिता वह नहीं है, जो मात्र संतान को जन्म दे या उसे अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी बनाए। असली तो पिता वह है जो बच्चों के संस्कारों के प्रति वफ़ादार रहे। आप बच्चों के प्रति सजग रहिए, उन्हें बेहतर शिक्षा और संस्कार दीजिए। घर में अच्छा माहौल दीजिए। एक-दूसरे के साथ आदरभाव के साथ पेश आइए । अतिथि का प्रसन्नता से स्वागत कीजिए। बच्चों को प्रेरणास्पद कहानियाँ सुनाइये। उन्हें कहिये कि जब भी जीवन में मुसीबत आए तो उससे घबराना नहीं अपितु अपनी श्रेष्ठ बुद्धि का श्रद्धा के साथ प्रयोग करना जैसा प्यासे कौए ने किया था। एक प्यासे कौए ने देखा कि घड़े में पानी है, लेकिन उसकी चोंच उसमें नहीं डूब रही है। उसने घड़े में कंकड़ डालने शुरू किये वह एक-एक कंकड़ डालता रहा । अंतत: पानी ऊपर आ गया और कौए ने अपनी प्यास बुझा ली। आप उन्हें पंचतंत्र की खूबसूरत कहानियाँ सुनाइए, जिसमें बुद्धि का ख़ज़ाना भरा पड़ा है। बच्चों में ग्राह्यता बहुत अधिक होती है । वे शीघ्र ही बातें समझ लेते हैं, उन्हें ग्रहण कर लेते हैं । उन्हें ऐसी कहानियाँ सुनाइए कि विपरीत परिस्थितियों में भी उन्हें साहस के साथ सामना करने की I | 47 www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use OnlyPage Navigation
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