Book Title: Ghar ko Kaise Swarg Banaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 35
________________ भरत-शत्रुघ्न भी बराबर भोगे। भाई-भाई का मतलब है : सुख में भी साथ, दुःख में भी साथ। घर में पति-पत्नी भी प्रेम से रहें। एक-दूसरे परस्पर मनोविनोद भले ही करें, पर तल्ख टिप्पणियाँ न करें। पति-पत्नी दोनों ही एक-दूसरे का सम्मान करें। दोनों ही एक-दूसरे की जवाबदारी निभाएँ, एक-दूसरे की देखभाल करें। पति को परमेश्वर का दूसरा रूप माना गया है, पत्नी पति की इज़्ज़त करे, पर जितना ज़रूरी यह है उतना ही जरूरी यह भी है कि पति भी पत्नी की पूरी सार-सम्हाल रखे। दोनों एक-दूसरे पर विश्वास रखे। शंका-संदेह आपस में दूरी बढ़ाते हैं, तकरार करवाते हैं। भाई! तकरार करके कहाँ जाओगे! आजकल तो पहली भी मुश्किल से मिलती है, अगर तकरार करोगे, तो सावधान ! ढूँढे भी दूसरी नहीं मिलने वाली। अब ज़रा पति-पत्नी की टिप्पणियाँ सुनो तो सही। एक पत्नी अपने पति से बोली-क्या आप सचमुच मुझे बहुत प्यार करते हैं? पति ने जवाब दिया-हाँ! पत्नी बोली-अगर मैं मर जाऊँ तो क्या आप रोएँगे? पति ने फिर जवाब दिया- हाँ! पत्नी ने कहा-मुझे रोकर बताइए, आप कितना रोएँगे? पति ने झट से कहा-पहले तुम मरकर तो दिखाओ। इसी तरह तलाक के मुकदमे में संतासिंह ने पत्नी पर आरोप लगाते हुए कहा-'जज साहब! मेरी इच्छा थी कि मैं लड़के का पिता बनूँ, पर इसने मुझे लड़की का पिता बना दिया।' पत्नी गुस्से में बोली-यह तो मेरा अहसान मानो। तुम्हारे भरोसे तो लड़की भी नहीं होती। एक पतिदेव गर्मी से परेशान होकर गंजे हो गए। सारे बाल कटवा लिए, उस्तरा फिरवा लिया। पत्नी ने इस हालत में देखा, तो चौंककर बोली-हे भगवान! आपने सिर के सारे बाल साफ क्यों करवा लिए? पति ने जवाब दिया-देवीजी! आजकल शहर में सफाई अभियान चल रहा है। कृपया एक-दूसरे पर छींटाकसी मत करो। भगवान ने आपकी जोड़ी बिठाई है तो इसे प्यार से जिओ। एक-दूसरे की इज़्ज़त करो, विनम्र भाषा बोलो, एक-दूसरे की सार-सम्हाल करो और दूसरे की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझो–यही चार सूत्र हैं जिनसे पति-पत्नी का रिश्ता स्वर्ग का सुकून दे सकता है। 34 || Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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